माथे की बिंदी......
.......माथे की बिंदी......
संस्कृति की देन है हिंदी
सभ्यता की जननी हिंदी
देवों की भी भाषा हिंदी
भविष्य की आशा हिंदी
हिंदी ने सबका उत्थान किया
शुभ कर्म हेतु प्रस्थान किया
हिंदी से बढ़ा मान मानवता का
किया सदा,सम्मान सनातन का
हिंदी ने ही दिया ज्ञान विश्व को
हिंदी ने ही दिया विज्ञान विश्व को
शून्य भी निकला हिंदी की कोख से
हिंदी से ही मिला सम्मान विश्व को
कुछ आतंकी आकार हिंदी रौंद गए
हिंदी के आंचल मे खंजर घोप गए
गैर की भाषा से ही हिंदी घायल हुई
आधुनिकता मे जनता भी पागल हुई
अब फिर से हमको हिंदी लाना होगा
खोया सम्मान इसे फिर दिलाना होगा
हर मुख पर अब केवल हिंदी ही हो
जैसे,सुहागन के माथे की बिंदी हो
.......................
मोहन तिवारी,मुंबई
Sushi saxena
13-Sep-2023 03:52 PM
V nice
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Gunjan Kamal
11-Sep-2023 08:23 PM
👏👌
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Reena yadav
11-Sep-2023 05:25 PM
👍👍
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